freedom at midnight.....
उस आधी रात को जब आजादी आई थी और उस आते जिस पीढ़ी ने देखा था वह पीढ़ी जिसने ख़ुशी के बाद दुःख भोग था उस पीढ़ी को यक़ीनन खट्टी मीठी यादों से भर देता होगा स्वतंत्रता का एहसास एक बार फिर उजागर होता होगा कहीं मेरा रंग दे बसंती चोला तो कहीं वो चीखे जो विभाजन के समय सुनाई दी थी! जैसी भी हो ये आज़ादी की सुबह थी
सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम और शाम से रात समय का चक्र चलता रहा ये देखते देखते ६३ साल हो गए ४७ से ९० तक आते भारत वह भारत न रहा लोग बदले तौर तरीके बदले और परिभाषाएँ भी बदली ९० का दशक आया तो उदारीकरण ने दरवाज़ा खटखटाया इस बीच बाबरी मस्जिद भी गिरी सरकारें आईं और चली गई !
काम धंदे चलते ही नाघी रहे बल्कि फलते फूलते रहे दूरदर्शन से MTV और FTV का ज़माना आया! facebook , orkut ,twiter पर नए नए दोस्त बन्ने लगे ! तो अरेंज मैरिज ओंन लाइन शादियाँ होने लगीं वही पीढ़ी जो ९० के दशक में चलना सीख रहीं थी वो २०१० में जवान हो गई थी-------
आखिर क्या है इस पीढ़ी के लिए आज़ादी के मायने------
१५ अगस्त को लाल किले पर PM का भाषण या एक गजटेड छुट्टी या और कुछ टीवी पर देशभक्ति फिल्मे या रेडियो पर देश भक्ति गीत या न्यूज़ चैनलों पर देश भक्ति के टॉक शो आखिर क्या है ? आजादी इस पीढ़ी के लिए? आज का यूवा सचमुच आज़ाद हो रहा है करियर की दौड़ में सबको पीछे छोड़ने के लिया बेचैन है इतना imotional है की देश भक्ति के गीत सुन कर कुछ देर के लिए देश के लिए मर मिटने की चाहत रखता है लेकिन संवेदनशील मुद्दों पर मोमबत्ती जलने से पीछे नहीं हटता है! फास्ट तो ये पीढ़ी है ही साथ ही इसकी range भी बहोत wide है! घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही रास्ते में है मौल , पिज्जा कॉर्नर, साइबर वर्ड की चमक धमक इनके रूटीन में शामिल है! लेकिन इन सबके बीच पॉकेट मनी की दिक्कत है ! आज युवा सरकारी नौकरी का मोहताज़ नहीं है बल्कि वह खुद MNC ज्वाइन करना चाहता है वह सिर्फ पॅकेज देखता है जितना बड़ा पॅकेज उतनी बड़ी आज़ादी! वह सोंचने के लिए आज़ाद है सपनो को हक्कीकत में बदलने के लिए आज़ाद है! GLOBIALIZATION का असर पूरे विश्व पर पड़ा तो हम कैसे बच सकते हैं आज बड़ी कंपनी अपने प्रोडक्ट को लौंच करती है तो युवाओं को लुभाने की कोशिश करती है अब तो हमारे राष्ट्र नेता भी युवाओं में दिखने लगे हैं इसमें कोई शक नहीं है की VALENTINE DAY से स्वतंत्रता दिवस ज्यादा यद् रखा जाता है! डाकिया डाक लाया भूला बिसरा जुमला रह गया है! मोबाइल पर 8 डिजिट दबाते ही I LOVE U हो जाता है और देर बाद I HATE U यानी ब्रेअकुप भी हो जाता है ये आज की आजादी है जो पुराने दिनों में कहाँ थी आज का यंगिस्तान ज्यादा फास्ट और स्मार्ट है! आज का युवा खप पंच्यातों के बावजूद रिश्तों में बंधता है!
प्यार किया तो डरना क्या ? मरेंगे जिएगे साथ साथ जैसी news headline उन लोगों को ठेंगा दिखाती हैं जो इन रिश्तों के खिलाफ होते हैं! आज का सलीम अकेला नहीं है उसके साथ है उसकी अनारकली जो अपने प्यार को पाने के लिए लड़ना भी जानती है! आज के युवा समाज से लड़ना भी जानते हैं !
ऐसा प्रतीत होता है की जिस युवा और आजादी की बात हो रही है वह सिर्फ एक विशेष वर्ग का प्रतिनिधित्वा करती है! शहरी , मध्यम वर्गीय लेकिन सच है की इस युवा वर्ग की चटकीली, भड़कीली, सपनीली अव्धार्नाओं की स्वर लहरियां कस्बों के सन्नाटों को मंद मंद चीरने लगी है! फर्क इतना है की ये युवा वर्ग इस आजादी को जी रहा है! एक और युवा वर्ग भी है जो न इस तरह आजाद है वह सिर्फ जूझ रहा है जीने के लिए अंतत निर्णायक उसी पीढ़ी को होना है जो ९० की आहट आते आते जिंदगी की जमीन पर चलना सीख रही थी !!!!!!!!!1
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