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Friday, August 8, 2014

नमो कि नेपाल यात्रा



भारत सरकार अपने पड़ोसी देशों से बढ़ती दूरियों की खाई को पाटने के लिए लगातार अग्रसर है...जिसका पहला प्रमाण मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही दिखा दिया था...अपने प्रचार के दौरान मोदी ने सबका साथ-सबका विकास का मंत्र दिया...जो उनकी भविष्य की योजनाओं को दर्शाता भी है....प्रधानमंत्री अपने इस मंत्र से सार्क देशों के साथ भारत के रिश्ते को नए रास्ते पर ले जाना चाहते हैं....यही वजह है कि शपथग्रहण के बाद से ही मोदी सरकार का पड़ोसी देशों की तरफ विशेष लगाव दिखता है....माना यही जा रहा है कि मोदी सार्क देशों अपने रिश्ते मजबूत कर विश्वमंच पर भारत की छवि एक विश्व नेता के तौर पर दिखाना चाहते हैं... जी.. सबका साथ सबका विकास... मोदी का ये नारा सीधा संदेश देता है कि सरकार जो भी काम करेगी उसमें सबको साथ लेकर सबके विकास का उद्देश्य ही होगा...यही नारा अब विदेश नीति का भी मूल मंत्र बन चुका है....शपथ ग्रहण में सार्क देशों के नेताओं की मौजूदगी इसी नारे और मंत्र को आगे बढ़ाने की शुरुआत थी...प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में जब लंबे वक्त से लटके ब्रिक्स बैंक के प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने में अहम भूमिका निभाई तो उसके पीछे भी सबका साथ-सबका विकास मंत्र ही था...यही नहीं इस बार के ब्रिक्स सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री एक सीइओ की तरह काम करते नजर आए और पूरे सम्मेलन में आकर्षण का केंद्र बने रहे...मोदी की इसी कार्यशैली से अब अमेरिका भी सबका साथ सबका विकास नारे की तारीफ करता नहीं थक रहा...मोदी की विदेश नीति कि शुरुआत भूटान से हुई जिसका अगला पड़ाव नेपाल बना....जी हां वही नेपाल जिसके साथ बीते 17 बरस से रिश्ते ठंडे पड़े थे...बीते 17 सालों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली नेपाल यात्रा रही...नेपाल पहुंचने पर मोदी का स्वागत ठीक वैसा ही हुआ जैसा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा का स्वागत भारत आने पर हुआ था...नेपाल की राजधानी काठमांडू में जिस तरह हर हर मोदी और घर घर मोदी के नारे सुनाई दिए तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मोदी नेपाल में चुनाव लड़ रहे हों...दिलचस्प बात ये है कि काठमांडू की ये भीड़ गुजरात या बनारस की नहीं थी और न ही बीजेपी की प्रायोजित भीड़ बल्कि ये नेपाल की जनता का मोदी के लिए प्रेम दिखलाती है...ऐसा स्वागत..ऐसा सम्मान…वाकई अद्भुत दृश्य था... बड़े दिल वाले मोदी ने भी नेपाल की जनता का दिल नहीं तोड़ा और सुरक्षा की चारदीवारी लांघते हुए मोदी ने ठमांडू की भीड़ से हाथ मिलाए...मोदी ने नेपाल पहुंच कर भारत नेपाल रिश्तों की तुलना हिमालय और गंगा की प्राचीनता से की तो भगवान बुद्ध...राजा जनक और श्री पशुपतिनाथ मंदिर के जरिए दोनों देशों के अटूट जुड़ाव का भी जिक्र किया...मोदी उन गोरखाओं का नाम लेना भी नहीं भूले जिन्होनें भारत के लिए कई जंग लड़ीं... मोदी ने जिस तरह गुजरात के सोमनाथ...बनारस के बाबा विश्वनाथ और काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर के संबधों को जोड़ा दोनो देश के नागरिकों को भी ये महसूस हुआ कि भारत और नेपाल के बीच सीमाओं के बंधन नहीं होने चाहिए...बल्कि ऐसे पुलों का निर्माण किया जाना चाहिए...जो दोनों देशों के सबंधों को और प्रगाण बना सके... मोदी की खासियत है कि वो भावनाओं को भावुकता में परोसने में माहिर हैं....ऐसे में ये जरुरी हो जाता है कि नेपाल को नए सिरे से भरोसा दिलाया जाए....कि भारत आर्थिक...कारोबारी...सामाजिक...शैक्षणिक और विकास के विभिन्न आधारों पर उसके साथ रहा है और आगे आने वाले समय में भी उसके साथ खड़ा रहेगा...इस विषय पर पनबिजली का मुद्दा सबसे महत्त्वपूर्ण है...जिस पर मोदी की टिप्पणी थी कि इससे दोनों देशों का अंधेरा दूर हो सकेगा...लेकिन बिजली खरीद समझौते पर नेपाली कैबिनेट हस्ताक्षर करने को फिलहाल तैयार नहीं हुई...माना जा रहा है कि आगामी 45 दिनों के भीतर दोनों देशों के बीच सहमति बनेगी और समझौते पर हस्ताक्षर होंगे...नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि नेपाल अपनी पनबिजली क्षमताओं का ही इस्तेमाल कर ले तो समृद्ध देशों की जमात में खड़ा हो सकता है...वैसे मोदी की इस यात्रा के दौरान 5600 मेगावाट की पंचेश्वर बहुउद्देश्यीय परियोजना पर करार हुआ...मोदी ने अपने भाषण में ये भी साफ किया कि भारत नेपाल से बिजली खरीदना चाहता है...अगर दोनों देशों के बीच बिजली खरीद पर रजामंदी हो जाए तो भारत में बिजली संकट समाप्त हो सकता है...इस तरह हमारा अंधेरा छंटेगा और नेपाल आर्थिक तौर पर मजबूत होगा...तो उसका अंधेरा दूर होगा...मोदी नेपाल से सबंध और भी मीठे बनाना चाहते है उसकी वजह चाइना भी है...बीते सालों में नेपाल में चीन की सक्रियता बढ़ी है और नेपाल ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं...2014 में ही नेपाल के प्रधानमंत्री दो बार चीन का दौरा कर चुके हैं...और करीब 90000 चीनी पर्यटक अब नेपाल में जाते हैं...यदि पर्यटन के लिहाज से भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी को भारत में बनारस...सांची और बौद्ध गया आदि से जोड़ा जाता है..तो दोनों देशों के रिश्ते आध्यात्मिक और वैचारिक स्तर पर भी बेहतर बन सकते हैं...मोदी ने नेपाली संसद के सामने एक एचआईटी मंत्र भी दिया है...एच से हाई-वे और टी से ट्रांसमिशन के काम तो नेपाल में भारत पहले से ही कर रहा है.. मोदी ने उसमें सूचना को भी जोड़ने की कोशिश की है....चूंकि अब दोनों देशों के बीच शीर्ष राजनीतिक स्तर पर फैसले हो रहे हैं... लिहाजा हिट के जरिए भी नेपाल का पुनरोद्धार हो सकता है...बहरहाल अब प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति साफ होने लगी है...भूटान और नेपाल के बाद वह म्यांमार और जापान जा सकते हैं...मोदी सबसे पहले पड़ोस और एशिया की कूटनीति को भारत के अनुकूल बनाना चाहते हैं...नेपाल में तो उन्होंने सत्ता के अलावा विपक्ष के नेताओं का भी दिल जीत लिया..लेकिन अब देखना है कि विश्व विख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस कि भविष्यवाणी कितनी सही हो पाती है...कि मोदी एक बार फिर से भारत को विश्व गुरु बनाने में कामयाब हो पाते है कि नहीं....बहरहाल उन्होने अपने इस मिशन की शुरुआत तो कर ही दी है....।।।

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